Mosfet क्या होता है | Mosfet कैसे काम करता है

मॉस्फेट जो कि ट्रांजिस्टर का ही हिस्सा है । इसका उपयोग हर सर्किट में किया जाता है बिना इसके उपयोग के सर्किट में प्रॉब्लम आ जाती है । इसीलिए मॉस्फेट को तैयार किया गया । तो चलिए जानते हैं कि मॉस्फेट क्या है, मॉस्फेट कैसे काम करता है, मॉस्फेट के बारे में और मॉस्फेट के प्रकार 
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What is Mosfet in hindi | मॉस्फेट क्या है :

मॉस्फेट का मुख्य काम स्विचिंग और amplifying करना होता है । स्विचिंग जैसे कि ऑन ऑफ करना । यह तेज़ी से स्विचिंग कर सकता है वो हाई पॉवर सर्किट में । यह सर्किट को ऑन ऑफ कर सकता है । जबकि यह मुख सिग्नल पर ही काम करता है सिग्नल यानी कि इसे अलग से पॉवर देना होता है तभी यह एक्टिवेट होकर काम करता है । इसे आप हाथ से टच करके भी इसे ऑन या ऑफ कर सकते हैं । दूसरा यह सर्किट को पॉवर सप्लाई देने का काम करता है । इसका मतलब हर सर्किट में पॉवर सप्लाई की जरूरत होती है तब इसे वहां लगाया जाता है पॉवर सप्लाई देने के लिए ।
 

Mosfet working in hindi | मॉस्फेट कैसे काम करता है :

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साधारण मॉस्फेट में तीन टर्मिनल होते हैं जिसे गेट (gate), ड्रेन (drain) और सोर्स (source) का नाम दिया गया है । सबसे ऊपर का टर्मिनल और सबसे नीचे बीच का टर्मिनल एक दूसरे के साथ ही कनेक्ट होता है और एक जैसा ही होता है जिसे ड्रेन कहते हैं, बाएं (left) टर्मिनल को गेट और दाएं (right) टर्मिनल को सोर्स कहा जाता है ।
 
इसके अंदर डायोड ही होता है जो कि विधुत धारा को प्रवाहित करने से रोकता है । पहले चित्र के अनुसार अगर हम ड्रेन से विधुत प्रवाहित करेंगे तो सोर्स में से विधुत बाहर नहीं निकलेगी क्योंकि डायोड विधुत धारा को रोक देता है । विधुत प्रवाहित करने के लिए इसे एक्टिवेट करना होता है ।

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इसे एक्टिवेट करने के लिए अलग से गेट में से विधुत धारा प्रवाहित करनी होती है जिससे गेट का टर्मिनल जम्पर तार की मदद ड्रेन और सोर्स के साथ बाईपास होकर जुड़ जाता है जिससे ड्रेन से आ रहा विधुत धारा सोर्स की तरफ जाकर बाहर निकल जाता है । दूसरे चित्र में ड्रेन में लाल रंग की जो लाईन है वह विधुत प्रवाहित हो रही है । ऐसे ही मॉस्फेट काम करता है ।

 

Types of Mosfet in hindi | मॉस्फेट के प्रकार :

मोस्फेट के प्रकार कुल दो हैं जैसे की 
  1. P मोस्फेट
  2. N मोस्फेट
मॉस्फेट अगर आप खरीदने जाते हैं तो उसके अंदर यही पूछा जाता है कि आप कौन सा मॉस्फेट खरीदना चाहते हैं p मॉस्फेट या n मॉस्फेट । क्योंकि दोनों का काम करने ढंग अलग होता है लेकिन काम एक जैसा ही होता है । तो चलिए अब हम जानते हैं कि मॉस्फेट p और n मॉस्फेट काम कैसे करते हैं ।
 

P mosfet in hindi | P मॉस्फेट क्या है :

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P मॉस्फेट में विधुत धारा ड्रेन से होकर सोर्स में से बाहर तभी निकलती है जब आप गेट में से पॉजिटिव सप्लाई या विधुत देते हैं तभी यह एक्टिवेट होकर ड्रेन से आ रही विधुत को आगे जाने देता है । इसका इस्तेमाल बहुत अधिक किया जाता है । क्योंकि गेट में से पॉजिटिव पॉवर देना आसान होता है ।

  • P mosfet symbol in hindi | P मॉस्फेट का सिंबल :
इसका सिंबल देखने के लिए आपको ध्यान से देखना होगा । इसके अंदर डायोड का सिंबल जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं 

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जो कि सोर्स की तरफ जाता है यानी कि उसका p सिरा ड्रेन से और n सिरा सोर्स से कनेक्ट होता है । यह p मॉस्फेट को दर्शाता है ।

N mosfet in hindi | N मॉस्फेट क्या है :

N मॉस्फेट में पॉवर सप्लाई सोर्स से अंदर जाती है और ड्रेन से बाहर निकलती है यानी कि यह p मॉस्फेट से उल्टी दिशा में काम करता है । इसमें डायोड का p सिरा सोर्स से और n सिरा ड्रेन से जुड़ा होता है ।

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अगर आप सोर्स में से विधुत धारा प्रवाहित करोगे तो सोर्स में से विधुत धारा बाहर नहीं निकलेगी क्योंकि डायोड उसको रोक देता है । इसके लिए हमें अलग से गेट को नेगेटिव पॉवर सप्लाई देनी होती है जिससे गेट का सिरा जम्पर तार की मदद से सोर्स और ड्रेन से जुड़ जाता है और पॉवर सप्लाई चालू हो जाती है ।

  • N mosfet symbol in hindi | N मॉस्फेट का सिंबल :
N मॉस्फेट के अंदर डायोड का सिरा सोर्स की तरफ जाता है यानी कि p3 सिरा सोर्स से कनेक्ट होता है और n सिरा ड्रेन से कनेक्ट होता है ।

मल्टीमीटर से मॉस्फेट कैसे चेक करें :

मॉस्फेट को आप लें । इसके बाद मल्टीमीटर को आप continuity पर सेलेक्ट कर लें । लाल रंग की पॉजिटिव तार को ड्रेन से और काले रंग की नेगेटिव तार को सोर्स के साथ कनेक्ट करें अगर मीटर में कुछ नंबर दिखाई दे रहे हैं तो इसका मतलब यह p मॉस्फेट है ।
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दूसरी तरफ अगर लाल रंग की तार को ड्रेन से और काले रंग की तार को सोर्स के साथ कनेक्ट करने से मल्टीमीटर की डिस्पले अगर कोई वैल्यू फिक्स्ड ही दिखाई दे रही जैसे कि 1 तो इसका मतलब वह मॉस्फेट n मॉस्फेट है ।
 

Check died mosfet in hindi | खराब मॉस्फेट कैसे पहचाने :

मॉस्फेट खराब होने से ड्रेन और सोर्स और गेट की तार डायरेक्ट जुड़ जाती है लेकिन इसे खोलकर नहीं देखा जा सकता । खराब मॉस्फेट की पहचान हम मल्टीमीटर की मदद से कर सकते हैं ।
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मल्टीमीटर को continuity पर सेलेक्ट कर लें । लाल रंग की तार और काले रंग की तार को आप अपनी मर्ज़ी से ड्रेन और सोर्स के साथ कनेक्ट करें और फिर इसके बाद लाल रंग की और काले रंग की तार को ड्रेन और गेट के साथ कनेक्ट करें । अगर मल्टीमीटर की डिस्प्ले में कोई वैल्यू दिखाई दे रही है सिवाय 1 को छोड़कर और आवाज आ रही है तो इसका मतलब मॉस्फेट खराब हो चुका है । क्योंकि मॉस्फेट खराब तभी होता है जब इसमें शार्ट-सर्किट होता है । शार्ट-सर्किट होने से इसकी सभी तारें जुड़ जाती हैं ।

Mosfet terminal in hindi | मॉस्फेट के टर्मिनल :

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आपने ऊपर साधारण मॉस्फेट के टर्मिनल के बारे में देख लिया होगा लेकिन कुछ मॉस्फेट के टर्मिनल तीन से भी अधिक होते हैं जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं । हमने आपको अलग-अलग मॉस्फेट के टर्मिनलों के बारे में बताया है ।

Use of Mosfet in hindi | मॉस्फेट के उपयोग :

मॉस्फेट का उपयोग बहुत सारे उपकरणों में किया जाता है जैसे की इन्वर्टर, टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप, प्लेस्टेशन, बल्ब इत्यादि । इसमें मॉस्फेट पॉवर सप्लाई करने का काम करता है वो भी हाई वोल्टेज पर ।
 

Advantages of mosfet in hindi | मॉस्फेट के फायदे :

  1. सर्किट को पॉवर सप्लाई देता है ।
  2. तेज़ गति से स्विचिंग कर सकता है ।
  3. हाई वोल्टेज पर यह काफी बढ़िया तरीके से काम करता है ।
  4. इसे स्पेसल हाई वोल्टेज सर्किट में काम करने के लिए ही बनाया गया है ।
  5. इलेक्ट्रिसिटी सिग्नल को यह amplify करने का काम करता है ।
 

Disadvantages of mosfet in hindi | मॉस्फेट के नुकसान :

  1. खराब होने पर डायरेक्ट इसका पता हमें नहीं चलता ।
  2. जब तक इसे एक्टिवेट ना किया जाए तब तक यह पॉवर सप्लाई को आगे जाने नहीं देगा ।
  3. इसे एक्टिवेट करने लिए भी अलग से पॉवर की जरूरत पड़ती है ।

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