Types of inductor in hindi | इंडक्टर के प्रकार

इंडक्टर अलग-अलग प्रकार के होते हैं जिसे अलग-अलग कामों के लिए बनाए जाते हैं । कुछ इंडक्टरों का इस्तेमाल हाई फ्रीक्वेंसी वाले उपकरणों में किया जाता है तो कुछ इंडक्टरों का इस्तेमाल कम फ्रीक्वेंसी वाले उपकरणों में किया जाता है । तो चलिए जानते हैं की इंडक्टर के प्रकार कितने होते हैं ।
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Types of inductor in hindi

Different types of inductor in hindi | इंडक्टर के प्रकार :

नीचे दिए गए सभी इंडक्टर केे प्रकारही हैं :
 
1 . Fixed inductor
  • Air core inductor
  • Core inductor
  • Iron Core inductor
  • Ferrite core inductor
  • Laminated core inductor
  • Transformer core inductor
2 . Variable inductor
 

Fixed इंडक्टर क्या है :

फिक्स्ड इंडक्टर वह इंडक्टर होता है जिसकी इंडक्टेन्स  वैल्यू फिक्स्ड होती है और जिस इंडक्टर की वैल्यू को चेंज नहीं किया जा सकता उसे फिक्स्ड इंडक्टर कहा जाता है । चित्र में दिखाए गए सभी इंडक्टर फिक्स्ड इंडक्टर ही होते हैं ।

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कुछ सर्किट ऐसे होते हैं जहाँ हमें इंडक्टेन्स वैल्यू चेंज करने की जरूरत नहीं पड़ती उस वक्त फिक्स्ड इंडक्टर ही काम में आता है और उसे लगाया जाता है । कुछ उपकरणों में इंडक्टेंस वैल्यू को चेंज करने की जरूरत पड़ जाती है उस वक्त यह इंडक्टर काम में नहीं आता । फिक्स्ड इंडक्टर के भी कई प्रकार हैं जिसे अलग-अलग काम के लिए बनाया गया है । इसके प्रकार नीचे दिए गए हैं जो इस प्रकार हैं :

Air कोर इंडक्टर क्या है :

जिस इंडक्टर में के बीच में कोई भी रॉड नहीं होती उसे एयर कोर इंडक्टर कहा जाता है क्योंकि इसके बीच मे जगह खाली होती है इसी कारण इसे एयर कोर इंडक्टर का नाम दिया गया है ।

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इसका उपयोग ऐसे उपकरणों में किया जाता है जहां इंडक्टेन्स की वैल्यू कम चाहिए होती है और इसका उपयोग हाई फ्रीक्वेंसी में भी किया जाता है । सिग्नल भेजने और पकड़ने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसकी रेंज अधिक होती है क्योंकि इसके बीच में किसी भी प्रकार की कोई भी रॉड नहीं होती । चित्र में दिखाए गए इंडक्टर एयर कोर इंडक्टर ही कहलाता है ।

 

Iron कोर इंडक्टर क्या है :

जिस इंडक्टर के बीच मे आयरन की रॉड लगाई जाती है उसे आयरन कोर इंडक्टर कहा जाता है । आयरन का मतलब होता है लोहा । इस इंडक्टर में चुम्बकीय क्षेत्र यानी कि मैग्नेटिक फील्ड का एरिया काफी बड़ा बनता है जिससे यह एक पॉवरफुल इंडक्टर बन जाता है । पॉवरफुल इंडक्टर बनने का कारण यही होता है जब इंडक्टर के बीच में मेटल की रॉड डाली जाती है ।

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इसका उपयोग हाई फ्रीक्वेंसी में किया जाता है और हाई पॉवर वाले या हाई वोल्टेज वाले सर्किटों में किया जाता है । लेकिन इसकी एक कमी भी है वो ये है कि इस इंडक्टर में जब मैग्नेटिक फ्लक्स तैयार होता है तो वह मैग्नेटिक फ्लक्स इस रॉड में से गुज़र कर जाता है जिससे आयरन की रॉड अधिक गर्म होने लगती है और आयरन का लॉस भी होने लगता है जिसे eddy करंट लॉस और hysterisis लॉस भी कहते हैं । जिससे पॉवर का लॉस भी अधिक होता है ।

 

Laminated कोर इंडक्टर क्या है :

आयरन कोर इंडक्टर में आयरन के लॉस को देखने के बाद ही इस लैमिनेटेड कोर इंडक्टर को बनाया गया जिसे ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है । इस कोर के बीच में और आस-पास लैमिनेटेड कोर लगाई जाती है । लैमिनेटेड कोर जो कि स्टील, आयरन की बनी हो सकती है ।

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Laminated core inductor in hindi

लैमिनेटेड कोर जिसे काफी सारी पतली शीट्स यानी कि पत्तियों को जोड़कर बनाया जाता है ऐसा करने से लैमिनेटेड कोर कम ही गर्म होते हैं जिससे आयरन और पॉवर लॉस की मात्रा कम हो जाती है । जैसे कि आप चित्र में देख सकते हैं । इसी के बीच मे इंडक्टर लगाया जाता है । इसका उपयोग भी हाई फ्रीक्वेंसी वाले उपकरणों में किया जाता है ।

 

Ferrite कोर इंडक्टर क्या है :

इस इंडक्टर के बीच में रॉड जो डाली जाती है वह लोहे की नहीं बनी होती यानी कि वह रॉड किसी और पदार्थ से बनाई जाती है । रॉड को फेरो मैग्नेटिक मटेरियल से तैयार किया जाता है इस रॉड में जल्दी से चुम्बकीय बनने की संभावना होती है जिससे यह जल्दी से चुम्बक बन जाती है

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और अच्छी तरह से काम करती है । इसकी इंडक्टेन्स वैल्यू बहुत हाई होती है । तार में आ रही नॉइस को कम करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है । Vga और कुछ डेटा केबल के आगे जो गोल से डिब्बा होता है उसके अंदर फेराइट कोर इंडक्टर का ही इस्तेमाल किया जाता है ।

 

Terodial टेरोडियल इंडक्टर क्या है :

टेरोडियल इंडक्टर गोल होता है । इसके बीच में जो गोल रॉड होती है वह भी फेरो मैग्नेटिक मटेरियल से बनाई जाती है । इसके सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें बिना तार के पॉवर को ट्रांसफर करने की क्षमता बहुत अधिक होती है जिसे वायर लेस तकनीक भी कहा जाता है और

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दूसरी इसकी खासियत यह है कि इसमें पॉवर का लॉस भी कम होता है यानी कि विधुत धारा बहुत कम मात्रा में ही व्यर्थ जाता है । इसका इस्तेमाल कम फ्रीक्वेंसी वाले उपकरणों में किया जाता है । यह आपको इन्वर्टर, इंडक्शन कुकर जैसे उपकरणों में देखने को मिल जाएंगे । इंडक्टर केवल dc विधुत धारा पर ही चलते हैं लेकिन इस इंडक्टर को स्पेशल ac विधुत धारा पर चलने के लिए बनाया गया है । यही एकमात्र ac विधुत धारा पर चलने वाला टेरोडियल इंडक्टर है ।

 

Bobbin इंडक्टर क्या है :

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इस इंडक्टर का ऊपरी भाग गोल होता है इसके अंदर ताम्बे को गोल लपेटा जाता है और बाद में उसे प्लास्टिक से ढक दिया जाता है जिसे बोबिन इंडक्टर कहा जाता है । इसका ज्यादातर इस्तेमाल pcb यानी कि प्रिंटेड सर्किट बोर्ड में किया जाता है ।

 

ट्रांसफार्मर कोर इंडक्टर क्या है :

ट्रांसफॉर्मर जो होते हैं उसके अंदर भी इंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है । ट्रांसफॉर्मर भी इंडक्टर का हिस्सा है । ट्रांसफार्मर का उपयोग हाई फ्रीक्वेंसी और कम फ्रीक्वेंसी दोनों में किया जाता है । यह ट्रांसफर्मर जो कि लैमिनेटेड स्टील या लोहे की पतली पत्तियों को जोड़कर कोर बनाई जाती है और इसके अंदर इंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है ।
 

Powered कोर इंडक्टर क्या है :

इस इंडक्टर का इस्तेमाल कम फ्रीक्वेंसी में किया जाता है । इसके बीच में और आस-पास मैग्नेटिक मटेरियल से तैयार कोर होती है जिसके ऊपर इंडक्टरको लगाया जाता है ।
 

Variable इंडक्टर क्या है :

वेरिएबल इंडक्टर वह इंडक्टर होते हैं जिसकी इंडक्टेन्स वैल्यू हम चेंज कर सकते हैं । पंखे की स्पीड घटाने के लिए जो रेगुलेटर लगाया जाता है उस रेगुलेटर में वेरिएबल इंडक्टर का ही इस्तेमाल किया जाता है स्पीड को घटाने के लिए |

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वेरिएबल इंडक्टर के आगे शाफ्ट होती है जिसे घुमा कर विधुत धारा को कम या ज्यादा किया जा सकता है । इसका इस्तेमाल बहुत अधिक और कई उपकरणों में किया जाता है जैसे कि टीवी में चेनल की वीडियो की ठीक करने के लिए नीचे की तरफ गोल शाफ़्ट होती है उसके अंदर वेरिएबल इंडक्टर होता है वैसे ही रेडियो में सिग्नल को पकड़ने के लिए शाफ़्ट को घुमाया जाता है उसी शाफ़्ट के अंदर इसी इंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है इत्यादि ।

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