Power bank क्या है | Power bank कैसे काम करता है

Power bank के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा लेकिन आज के इस आर्टिकल में बहुत कुछ जानेंगे जैसे की पॉवर बैंक क्या है, पॉवर बैंक कैसे काम करता है और पॉवर बैंक के मुख्य पार्ट्स । पॉवर बैंक के बारे में आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा । वैसे देखा जाये तो आज के समय इसके कई प्रकार मार्किट में आ चुके हैं तो चलिए जानते हैं इसके बारे में ओर डिटेल के साथ ।

what is power bank in hindi
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Power Bank in hindi | Power bank क्या होता है :

पॉवरबैंक को अगर हम साधारण तौर पर देखें तो यह एक बैटरी ही होती है । जिसकी पॉवर यानि की स्टोरेज क्षमता काफी अधिक होती है । स्टोरेज क्षमता अधिक होने से इसमें करंट अधिक करके रखा जाता है जिससे हम एक साथ दो या कई बार स्मार्टफोन को चार्ज कर सकते हैं । पॉवर बैंक कम स्टोरेज क्षमता से लेकर अधिक स्टोरेज क्षमता तक के आते हैं और

कुछ पॉवर बैंक में स्मार्ट फंक्शन भी दिए जाते हैं जैसे की इसके ऊपर दिया गया इंडिकेटर जिसकी मदद से यह पता चल जाता है की पॉवर बैंक के अंदर कितनी पॉवर बाकि रह गयी है जिसकी मदद से हमे यह पता चल जाता है की पॉवर बैंक इतना खाली हो चूका है और कितनी देर ओर चार्ज कर सकता है स्मार्टफोन को । इसके आलावा कुछ पॉवर बैंक ऐसे होते हैं जो स्मार्टफोन को जल्दी से चार्ज भी कर देते हैं ।

 

Power bank के पार्ट्स :

पॉवरबैंक के अंदर मुख्य रूप से दो ही पार्ट्स शामिल होते हैं एक होता है बैटरी और दूसरा होता है कंट्रोलर बोर्ड । तो चलिए इसके बारे में भी हम आगे डिटेल के साथ जानते हैं ।

  • बैटरी :

इसी में करंट जमा होता है और पॉवरबैंक के अंदर एक से अधिक बैटरी लगायी जाती है । इसका आकार सेल से बड़ा ही होता है और वजन में भी भारी होता है । जो पॉवरबैंक बिल्कुल पतले बनाये जाते हैं उसके अंदर सेल जैसी बैटरी का उपयोग नहीं किया जाता । बैटरी लायन (Lion) यानि की लिथियम आयन की होती है ।

Parts of powerbank in hindi
Parts of powerbank in hindi
  • कंट्रोलर बोर्ड :

बैटरी को कण्ट्रोल करना, बैटरी को अधिक वोल्टेज से बचाना, बैटरी को अधिक ओवर चार्ज से बचाना, बैटरी के अंदर कितना करंट जमा है उसको इंडिकेटर के जरिये दिखाना और बैटरी को फूलने से बचाना इत्यादि । ये सब काम कंट्रोलर बोर्ड का ही होता है । इसके आसपास तीन से अधिक USB पोर्ट लगे होते हैं । उनमें से माइक्रो usb पोर्ट होता है पॉवरबैंक की बैटरी को चार्जिंग करने के लिए और बाकि के 2.0usb के दो पोर्ट होते हैं स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए । माइक्रो usb पोर्ट से करंट बैटरी के अंदर और 2.0 usb वाले पोर्ट से बैटरी में जमा करंट बाहर निकलता है ।

Power bank कैसे काम करता है :

सबसे पहले जब पॉवरबैंक के माइक्रो usb पोर्ट को चार्जर से कनेक्ट करते हैं तो उसके बाद इस कंट्रोलर बोर्ड के अंदर से विधुत प्रवाहित होकर सीधा बैटरी में जमा होता है । लेकिन इसके बीच कई पार्ट्स भी लगे होते हैं जैसे की IC, रेसिस्टर और डायोड । IC जो की मुख्य पार्ट होता है इस कंट्रोलर बोर्ड का और इसका मुख्य काम होता है बैटरी के फुल चार्ज हो जाने के बाद करंट को बैटरी में जाने से रोकना । अगर इसे इसमें ना लगाया जाये तो बैटरी फुल चार्ज होने के बाद भी चार्ज होने लगती है जिससे बैटरी फुलने लगती है और खराब हो जाती है ।

फिर इसके बाद इसके अंदर लगा रेसिस्टर को लगाने के काम होता है एम्पियर को कण्ट्रोल करना । जैसे की अगर पॉवर बैंक 1 एम्पियर से चार्ज होता है तो यह रेसिस्टर 1 एम्पियर को ही आगे जाने देगा । फिर बारी आती है डायोड की । इसको इसीलिए लगाया जाता है की करंट माइक्रो usb पोर्ट के जरिये सिर्फ अंदर ही जाये और करंट बाहर ना निकले । ऐसा इसीलिए किया जाता है की जब बैटरी को चार्जर से कनेक्ट करने के बाद बैटरी चार्ज होने लगती है  तो उसके बाद अगर बिजली चली जाती है जिससे चार्जर करंट देना बन्द कर देता है ।

जब चार्जर करंट देना बन्द कर देता है तब बैटरी में जमा करंट चार्जर में जाने लगता है जिससे बैटरी में जमा करंट खत्म होने लगता है । बैटरी का करंट चार्जर ना खाये इसीलिए डायोड को लगा दिया जाता है पॉवरबैंक के अंदर । जब स्मार्टफोन को चार्ज करना होता है तब इसमें IC के माध्यम से बैटरी में जमा करंट स्मार्टफोन की बैटरी में जाता है जिससे स्मार्टफोन की बैटरी चार्ज होने लगती है । 2.0 usb वाले पोर्ट में करंट सिर्फ बाहर ही जाता है बल्कि अंदर नहीं जाता है क्योंकि इसमें भी डायोड को लगाया जाता है ताकि बैटरी का करंट सिर्फ बाहर ही और इस पोर्ट के माध्यम से निकले ।

इसके ऊपर लगे इंडिकेटर कैसे काम करता है उसके बारे में भी हम अच्छी तरीके बताने की कोशिश करेंगे । आप हमेशा एक बात जान लें की बैटरी का वोल्टेज कभी भी फिक्स्ड नहीं रहता है यानि की बैटरी का अधिकतम वोल्टेज 4.2 तक का होता है । जैसे-जैसे बैटरी खाली होती जाती है वैसे-वैसे उस बैटरी का वोल्टेज धीरे-धीरे कम होता जाता है । जब बैटरी का वोल्टेज 3.5 वॉल्ट तक पहुंच जाता है तब इसका मतलब बैटरी खाली हो चुकी है या खाली होने ही वाली है ।

इसी को बल्ब के साथ जोड़ा जाता है जिससे जैसे-जैसे वोल्टेज बढ़ता जाता है ठीक वैसे ही एक-एक करके सभी बल्ब जगने लगते हैं । 4.2 वॉल्ट तक बैटरी का वोल्टेज हो जाने से सभी बल्ब जगने लगते हैं । बैटरी के अंदर कितना करंट जमा है या बैटरी कितनी खाली हो चुकी है यह सब कुछ वोल्टेज की मदद से इंडिकेटर के द्वारा दिखाया जाता है जिससे हमें बैटरी के बारे में पता चल जाता है । आजकल यही टेक्नोलॉजी अब बड़े इन्वर्टर बैटरियों में भी आ गयी है । जिससे लगातार पंखा चलाने के बाद हमें यह पता चल जाता है की अब बैटरी के अंदर कितना करंट बाकि रह चूका है ।

इंडक्टर को कंट्रोलर बोर्ड के ऊपर लगाया जाता है बैटरी का वोल्टेज बढ़ा कर स्मार्टफोन को देने के लिए । क्योंकि बैटरी का नार्मल वोल्टेज होता है 3.7 वॉल्ट जबकि स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए चाहिए होता है 5 वॉल्ट या इससे थोड़ा अधिक भी जैसे की 5.4 या 5.2 वॉल्ट । तो इसमें इंडक्टर बैटरी को वोल्टेज को बढ़ा कर देता है जिससे हमें पॉवरबैंक से 5 वॉल्ट मिलता है और स्मार्टफोन भी आसानी से चार्ज हो जाता है ।

Types of Powerbank in hindi | Powerbank के प्रकार :

पॉवरबैंक के प्रकार मार्किट में कई आ चुके हैं लेकिन सबका काम एक जैसा ही होता है बस अंतर होता है कंपनी द्वारा दिए गए खास फंक्शन का । तो चलिए जानते हैं पॉवरबैंक के सभी प्रकार के बारे में ।

  • साधारण पॉवरबैंक :

इस प्रकार के पॉवरबैंक जो की काफी ज्यादा मोटे और बड़े होते हैं । जबकि इनमें कुछ खास फीचर्स नहीं दिए जाते क्योंकि इस प्रकार के पॉवरबैंक जिसकी कीमत काफी कम होती है जिससे जो लोग कम कीमत में अच्छा पॉवरबैंक खरीदना चाहते हैं । इस पॉवरबैंक के अंदर कई बड़े सेल होते हैं जिससे इसका आकार भी बड़ा हो जाता है । वजन अधिक होने से गिरने से इसकी बॉडी तक इसकी टूट जाती है ।

  • थिन पॉवरबैंक :

थिन का मतलब होता है पतला । इस प्रकार के पॉवरबैंक बाकि पॉवरबैंक के मुकाबले में काफी पतले होते हैं और इनका वजन भी काफी कम होता है । पतला होने से इसका आकार भी बाकि पॉवरबैंक से काफी छोटा होता है । इस पॉवरबैंक की खास बात आपको यही मिलेगी की यह आसानी से जेब में आ जाती है । अगर हम इसकी कीमत के बारे में बात करें तो इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है । इसके अंदर सेल नहीं होते बल्कि इसे सीधा ही स्मार्टफोन की बैटरी जैसा ही आकार दे दिया जाता है । सेल ना होने से इसका आकार कम होता है लेकिन गिरने से इसका खतरा साधारण पॉवरबैंक से कम ही होता है ।

  • फ़ास्ट चार्जिंग पॉवरबैंक :

आज के समय में कंपनियों ने ऐसे पॉवरबैंक तैयार किये हैं जो की स्मार्टफोन को तेज़ गति से चार्ज कर देते हैं और खुद जल्दी से भी चार्ज हो जाते हैं जिससे समय की काफी बचत हो जाती है । इस प्रकार के पॉवरबैंक साधारण पॉवरबैंक और थिन पॉवरबैंक दोनों केटेगरी के अंदर आते हैं । स्मार्टफोन को चार्ज करने वाले पॉवरबैंक अलग-अलग स्पीड के हिसाब से आते हैं जैसे की 2.0 एम्पियर, 3.0 एम्पियर । 2.0 एम्पियर का मतलब दुगनी स्पीड और 3.0 का मतलब तिगुनी स्पीड । लेकिन इस प्रकार के पॉवरबैंकों की कीमत भी काफी ज्यादा होती है ।

  • लैपटॉप पॉवरबैंक :

अब लैपटॉप को चार्ज करने के लिए भी पॉवरबैंक मार्किट में आ चुके हैं । जो सिर्फ लैपटॉप को ही चार्ज करते हैं लेकिन इसमें भी एक ऐसा पॉवरबैंक भी है जो लैपटॉप और स्मार्टफोन दोनों को चार्ज कर सकता है । अगर आपके पास लैपटॉप और स्मार्टफोन दोनों को चार्ज करना चाहते हैं तो आप वही पॉवरबैंक लें जो लैपटॉप और स्मार्टफोन दोनों को चार्ज कर सके ।

लेकिन यह पॉवरबैंक आकार में काफी बड़ा होने से जेब में नहीं आता और इसका वजन काफी अधिक होने के साथ इसकी कीमत भी काफी अधिक होती है । इस पॉवरबैंक में लैपटॉप को चार्ज करने के लिए अलग पोर्ट और स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए अलग पोर्ट मिलता है ।

 

Powerbank के उपयोग :

आज के समय में पॉवरबैंक का उपयोग काफी अधिक मात्रा में किया जा रहा है स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए सबसे अधिक किया जाता है जबकि अब के समय में लैपटॉप को चार्ज करने के लिए भी स्पेशल पॉवरबैंक मार्किट में आ चुके हैं जिसकी मदद से लैपटॉप को आसानी से चार्ज किया जा सकता है ।

Powerbank के फायदे :

  1. बिजली के ना होने के बाद इसकी मदद से स्मार्टफोन और लैपटॉप को चार्ज किया जा सकता है ।
  2. इसमें अधिक मात्रा में करंट को जमा करके रखा जा सकता है ।
  3. पोर्टेबल डिवाइस यानि की आसानी से कहीं भी इसे ले जाया जा सकता है ।
  4. डिवाइस को जल्दी से चार्ज करने में सक्षम ।

 

Powerbank के नुकसान :

  1. पॉवरबैंक की कीमत अधिक होती है ।

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