Motherboard क्या है | Motherboard कैसे काम करता है

डिवाइस जैसे कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर, लैपटॉप इत्यादि इन सब में मदरबोर्ड को लगाया जाता है । इसके बिना डेटा ना ही ट्रांसफर हो पाते हैं और ना ही उन्हें पहुंचने का रास्ता मिल पाता है । इसी के कारण ही सभी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स आपस मे जुड़े रहते हैं । इसीलिए मदरबोर्ड के बारे में आपको इस आर्टिकल में सभी जानकरी दी जाएगी जैसे की मदरबोर्ड क्या हैमदरबोर्ड कैसे काम करता हैमदरबोर्ड के प्रकार और मदरबोर्ड के पार्ट्स 
 
 

What is Motherboard in hindi | Motherboard क्या होता है :

मदरबोर्ड एक प्लास्टिक शीट की तरह होता है जिसके ऊपर अलग-अलग प्रकार के पोर्ट्स लगाये जाते हैं । सभी पोर्ट्स को इसके ऊपर सोल्जर से जोड़ा जाता है । इसी पोर्ट्स में अलग-अलग उपकरण लगाये और कनेक्ट किये जाते हैं । जैसे की रैम, प्रोसेसर, मेमोरी, ग्राफ़िक कार्ड, माउस, कीबोर्ड और कई अन्य उपकरण । इसे PCB भी कहते हैं यानि की प्रिंटेड सर्किट बोर्ड । यह कंप्यूटर और लैपटॉप के अंदर ही स्थित होते हैं । स्मार्टफोन्स के मदरबोर्ड अलग प्रकार के होते हैं लेकिन सबका काम एक जैसा ही होता है ।

Motherboard kya hota hai, Motherboard kya hai
Motherboard kya hota hai

Motherboard working in hindi | Motherboard कैसे काम करता है :

मदर-बोर्ड कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन्स का एक ऐसा हार्डवेयर पार्ट होता है जो डिवाइस के अंदर लगे सभी कंपोनेंट्स ( रैम, ग्राफ़िक कार्ड, प्रोसेसर ) को आपस में जोड़ कर रखता है और कम्युनिकेशन बनाये रखता है । अगर अंदर लगे सभी कंपोनेंट्स आपस में जुड़े होंगे तभी डिवाइस काम करता है । इसके आलावा डिवाइस के अंदर लगे सभी कंपोनेंट्स को बिजली पहुँचाने का काम भी मदरबोर्ड का ही होता है इत्यादि । कुछ मदरबोर्ड ओवर-कलॉकिंग को भी सपोर्ट करते हैं ताकि अगर प्रोसेसर को ओवरक्लॉक करना हो तो मदरबोर्ड भी ओवरक्लोक्किंग को सपोर्ट करना चहिये । सभी मदरबोर्ड में ओवरक्लॉक का फीचर्स देखने को नहीं मिलता है । ओवरक्लोक्किंग से से प्रोसेसर की स्पीड बढ़ती है इसके साथ प्रोसेसर भी ओवर-कलॉकिंग को सपोर्ट करने वाला होना चाहिए । सिर्फ मदरबोर्ड के ओवरक्लोंकिंग से स्पीड और परफॉरमेंस नहीं बदती है ।

 

Parts of Motherboard in hindi | Motherboard के पार्ट्स :

कंप्यूटर और लैपटॉप के अंदर मदरबोर्ड में कई सारे पोर्ट्स या स्लॉट्स लगे होते हैं और उन स्लॉट्स या पोर्ट्स में जरूरी हार्डवेयर पार्ट लगे होते हैं जैसे की रैम, प्रोसेसर, ग्राफ़िक कार्ड, इत्यादि । मदरबोर्ड के प्रकार नीचे की तरफ बताया है जो की इस प्रकार है :

parts of motherboard in hindi
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  • प्रोसेसर स्लॉट :
मदर-बोर्ड के इस स्लॉट में प्रोसेसर फिट किया जाता है और प्रोसेसर ही सबसे जरूरी हार्डवेयर पार्ट कहलाता है । आप इतना भी याद रखें की प्रोसेसर स्लॉट में सभी प्रकार के प्रोसेसर नहीं लगते हैं क्योंकि अलग-अलग प्रकार के कंप्यूटर प्रोसेसर ( डेस्कटॉप प्रोसेसर ) या प्रोसेसर का आकार और उसके नीचे लगी pins की मात्रा में अंतर होता है यानि की कम या ज्यादा होती है जिसकी वजह से जब प्रोसेसर सेलेक्ट करना होता है उसके बाद ही मदरबोर्ड के अंदर लगे प्रोसेसर स्लॉट की तरफ देखना पड़ता है की क्या इस प्रोसेसर में इस प्रकार का प्रोसेसर लग पायेगा या नहीं । क्योंकि कंप्यूटर प्रोसेसर के प्रकार भी होते हैं जैसे की ड्यूल कोर प्रोसेसर, क्वाड कोर प्रोसेसर, हेक्सा कोर प्रोसेसर, ओक्टा कोर प्रोसेसर और मल्टी कोर प्रोसेसर । कुछ मदरबोर्ड ऐसे भी होते हैं की उसमें इंटेल प्रोसेसर लगते हैं लेकिन amd प्रोसेसर नहीं जबकि कुछ मदरबोर्ड ऐसे भी होते हैं जिसमें amd प्रोसेसर तो लगते हैं लेकिन इंटेल प्रोसेसर नहीं । क्योंकि अलग-अलग कंपनियों की तरफ से बनाये गये प्रोसेसर के आकार में अंतर होता भी है और नहीं भी । अगर आप ऑनलाइन शौपिंग वेबसाइट से मदरबोर्ड सेलेक्ट करना चाहते हैं तो आप इतना देख लें की उसमें कौन सा प्रोसेसर लगेगा और इसकी जानकारी साथ में ही दी जाती है ।
 
 
  • Type-C पोर्ट :
कम कीमत के यानि की सस्ते मदरबोर्ड में टाइप-c पोर्ट नहीं दिया जाता है क्योंकि सस्ते मदरबोर्ड की कीमत अधिक ना हो इसीलिए टाइप-c पोर्ट नहीं लगाया जाता है जिससे कीमत अधिक ना हो । दूसरी तरफ महंगे मदरबोर्ड में टाइप-c देखने को मिलते हैं लेकिन आप इतना याद रखें की पुरानी टेक्नोलॉजी के मदरबोर्ड को सेलेक्ट ना करें तो ही अच्छा है क्योंकि लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर बने हुए मदरबोर्ड में ही टाइप-c पोर्ट देखने को मिलते हैं । टाइप-c पोर्ट मदरबोर्ड में इसीलिए दिया जाता है ताकि डाटा को तेज़ गति से ट्रान्सफर किया जा सके एक डिवाइस से लेकर दुसरे डिवाइस तक । क्योंकि USB 2.0 पोर्ट के जरिए डाटा पहुँचाने में समय अधिक लगता है । लैपटॉप्स और स्मार्टफोन्स में इसका इस्तेमाल चार्ज करने के लिए और डाटा ट्रांसफार्मर करने के लिए भी किया जाता है । टाइप-c पोर्ट जोकि सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर बने हुए हैं जिसकी डेटा ट्रान्सफर स्पीड तकरीबन 400 mb से लेकर 2.4gb पर तक सेकंड की है ।
  • सीरियल पोर्ट्स :
सीरियल पोर्ट्स की मदद से पुरानी तकनीक से बने हुए माउस, कीबोर्ड और कुछ उपकरणों को कनेक्ट किया जा सकता है । जबकि सीरियल पोर्ट्स आपको सिर्फ बहुत पुराने मदरबोर्ड में ही देखने को मिलेंगे क्योंकि आज के समय में सीरियल पोर्ट्स की जगह पर USB पोर्ट का ही इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ये पोर्ट काफी बढ़िया होते हैं सीरियल पोर्ट की तुलना में । सीरियल पोर्ट में कई सारी पिन लगी होती हैं 9 पिन और 25 पिन वाले सीरियल पोर्ट्स । दो प्रकार के सीरियल पोर्ट्स मदरबोर्ड पर देखने को मिलते हैं । लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है क्योंकि इसकी स्पीड usb पोर्ट्स के मुकाबले कम होती है । कुछ मदरबोर्ड में सीरियल पोर्ट्स और USB 2.0 पोर्ट एक साथ देखने को मिलते भी हैं ताकि एक पुराने टेक्नोलॉजी पर और नये टेक्नोलॉजी पर बने हुए उपकरणों को जोड़ा जा सके ।
  • PS/2 पोर्ट्स :
PS/2 पोर्ट ही मदरबोर्ड के सबसे आगे की तरफ देखने को मिलते हैं माउस और कीबोर्ड को कनेक्ट करने के लिये लेकिन इस प्रकार के पोर्ट बहुत ही पुराने मदरबोर्ड में ही देखने को मिलते थे जबकि आजे के समय में बनने वाले लेटेस्ट मदरबोर्ड में PS/2 पोर्ट्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है । यानि की इसकी जगह पर USB पोर्ट ही लगाया जाने लगा है जोकि काफी बढ़िया भी होते हैं । आप इतना भी जरुर ध्यान रखें की हरे रंग के PS/2 पोर्ट में माउस को कनेक्ट किया जाता है जबकि पर्पल रंग के PS/2 पोर्ट में कनेक्ट किया जाता है कीबोर्ड को ।
  • USB पोर्ट्स :
मदरबोर्ड में सबसे अधिक पोर्ट्स USB पोर्ट ही देखने को मिलते हैं जैसे की माउस को कनेक्ट करने के लिए, कीबोर्ड को कनेक्ट करने के लिए, पेनड्राइव को कनेक्ट करने के लिए, वायर-लेस्स सिस्टम और बहरी उपकरणों को मदरबोर्ड के साथ कनेक्ट करने के लिए । एक ही USB पोर्ट काफी फीचर्स प्रदान करता है ज्सिकी वजह से ये काफी बढ़िया भी होते हैं क्योंकि डाटा ट्रान्सफर करें के लिए भी USB 2.0 पोर्ट का ही इस्तेमाल किया जाता है । USB पोर्ट के भी आगे कुछ प्रकार देखने को मिलते हैं जैसे की :
  • USB 1.0 पोर्ट
  • USB 2.0 पोर्ट
  • USB 3.0 पोर्ट
  • USB 3.1 पोर्ट
USB पोर्ट की स्पीड या डाटा ट्रान्सफर स्पीड भी तेज़ होती है लेकिन Type-C से काफी पीछे रह जाती है ।
 
  • पॉवर कनेक्टर :
मदरबोर्ड के अंदर लगे सभी पार्ट्स को चलाने के लिए भी बिजली की जरूरत पडती है और वही बिजली तो वैसे SMPS ही देता है लेकिन जिस पोर्ट के जरिए बिजली पुरे मदरबोर्ड को देनी होती है उस पोर्ट को कहते हैं पॉवर कनेक्टर । पॉवर कनेक्टर के अंदर 24 पिन और 8 पिन लगे होते हैं । 24 पिन वाले कनेक्टर के जरिये बिजली पुरे मदरबोर्ड के पास पहुंचती है लेकिन 8 पिन या 4 पिन कनेक्टर के जरिये अलग से 12 वोल्ट बिजली की सप्लाई दी जाती है कोई अलग से कार्ड चलाने के लिए जैसे की डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड इत्यादि । पॉवर कनेक्टर पोर्ट नहीं होता है क्योंकि यह पिन होते हैं जिसे खोखले आकार के पाइप से लगाया जाता है इसे कनेक्टर ही कहते हैं या पोर्ट भी । सबसे पहले पॉवर यानि की बिजली SMPS में ही जाता है इसके पॉवर कनेक्टर के जरिये मदर-बोर्ड से पुरे सिस्टम में जाता है ।
 
  • एक्सटर्नल पोर्ट :

एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर या फिर लैपटॉप के साथ कनेक्ट करने के लिये इस पोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है ।

 

  • मोडम या LAN पोर्ट :

कंप्यूटर में और लैपटॉप में इंटरनेट चलाने के लिए मोडम पोर्ट मदरबोर्ड में दिया जाता है और इसी पोर्ट में इंटरनेट की केबल लगायी जाती है । जिसके बाद इंटरनेट डिवाइस में चलने के लायक बनता है । वैसे मदरबोर्ड सस्ते हो या महंगे सभी में मोडम पोर्ट दिया ही जाता है क्योंकि यह पोर्ट जरूरी होता है इसीलिए ।

 
  • VGA पोर्ट :
VGA पोर्ट्स का उपयोग या इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता था और आज के समय में भी किया जाता है लेकिन जब म्द्र्बोअर्द की कीमत कम रखनी होती है तब । पहले के समय में VGA पोर्ट ही सबसे अधिक इस्तेमाल होते थे जिसका इस्तेमाल मॉनिटर कनेक्ट करने के लिए किया जाता है । पुराने मदरबोर्ड में सिर्फ VGA पोर्ट जबकि नये मदरबोर्ड में VGA पोर्ट और HDMI पोर्ट दोनों देखने को मिलते हैं । आप इतना भी याद रखें की अगर आप महंगा मदरबोर्ड सेलेक्ट करने जा रहे हैं तो उसमे HDMI पोर्ट जरुर लगा होना चाहिए जबकि सस्ते मदरबोर्ड में VGA पोर्ट ही अधिकतर देखने को मिलते हैं लेकिन HDMI पोर्ट काफी कम ।
 
  • DVI पोर्ट :
DVI पोर्ट का इस्तेमाल भी हम मॉनिटर कनेक्ट करने के लिए ही जाता है जैसे की LCD और LED, QLED जैसे मॉनीटर्स । परन्तु इससे पहले हमने आपको ऊपर की तरफ VGA पोर्ट के में भी बताया था । VGA पोर्ट अरु DVI पोर्ट दोनों का उपयोग मॉनिटर कनेक्ट करने के लिए ही किया जाता है लेकिन VGA पोर्ट की टेक्नोलॉजी पुरानी जबकि DVI की टेक्नोलॉजी नई है और DVI पोर्ट की मदद से मॉनिटर में पिक्चर की क्वालिटी अधिक शार्प दिखाई देती है । अगर देखा जाए तो कुछ मदरबोर्ड ऐसे होते हैं जिसमें इस प्रकार के दोनों पोर्ट्स एक साथ भी या इनमें से कोई एक भी दे दिया जाता है मॉनिटर कनेक्ट करने के लिए जैसे की VGA और DVI ।
 
  • HDMI पोर्ट :
HDMI का पूरा नाम है हाई डेफिनिशन मल्टीमीडिया इंटरफ़ेस । HDMI पॉर्ट जिसका उपयोग हम साउंड (आवाज या ऑडियो) और वीडियो को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रान्सफर करने के लिए करते हैं और एक कंप्यूटर से लेकर दूसरे लैपटॉप तक, कंप्यूटर तक, टीवी तक या फिर मॉनिटर तक । HDMI पोर्ट की टेक्नोलॉजी सबसे नई है और इसका इस्तेमाल भी मॉनिटर कनेक्ट करने के लिए ही किया जाता है लेकिन सस्ते मदरबोर्ड में HDMI पोर्ट बहुत ही कम देखने को मिलते हैं जबकि महंगे मदरबोर्ड में HDMI पोर्ट ही अधिकतर देखने को मिलते हैं ।

 

  • ऑडियो पोर्ट्स :
ऑडियो पोर्ट्स एक साथ तीन लगे हुए देखने को मिलते हैं आपको चित्र में देख कर पता चल गया होगा । ऑडियो पोर्ट्स का उपयोग मदरबोर्ड में इसीलिए किया जाता है ताकि स्पीकर, माइक, हेडफोन, इअरफोन को कनेक्ट किया जा सके । ऑडियो पोर्ट अलग-अलग रंगों में दिखाई देते हैं और किस पोर्ट का उपयोग कहाँ किया जाता है इसके बारे में ऑडियो पोर्ट के साथ में ही लिखा जाता है ।
 
  • पैरेलल पोर्ट :
इस पैरेलल पोर्ट्स का इस्तेमाल प्रिंटर, प्लॉटर और स्कैनर जैसे डिवाइस को कनेक्ट करने के लिए किया जाता है और इस पैरेलल पोर्ट के अंदर कुल 25 पिन लगी होती हैं ।
 
  • IDE कनेक्टर & SATA पोर्ट्स :

मदर-बोर्ड में इस प्रकार के पोर्ट्स का इस्तेमाल हार्ड डिस्क ड्राइव , सॉलिड स्टेट ड्राइव और ऑप्टिकल ड्राइव कनेक्ट करने के लिए किया जाता है । लेकिन ये दोनों ड्राइव केबल के जरिये ही इस प्रकार के पोर्ट से कनेक्ट की जाती हैं । IDE ( इंटीग्रेटेड ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक्स ) की टेक्नोलॉजी आज के समय में काफी पुरानी हो चुकी है । लेकिन अब इसकी जगह पर साटा पोर्ट्स केबल का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसका आकार छोटा, पतला और इसकी स्पीड IDE से काफी तेज़ होती है ।

 

  • रैम स्लॉट :

रैम स्लॉट में रैम लगायी जाती है और रैम कार्ड की तरफ दिखने वाला कार्ड होता है । सस्ते मदरबोर्ड में रैम लगाने के लिए कम से कम दो स्लॉट्स देखने को मिलते ही हैं जबकि महंगे मदरबोर्ड में रैम स्लॉट्स 2 से अधिक ही देखने को मिलते हैं, जिससे आप एक समय में 2 से अधिक रैम कार्ड लगा कर रैम की मेमोरी को बढ़ा सकते हैं ।

जानिए रैम क्या है और कैसे काम करती है

 

  • CMOS बैटरी :

CMOS का पूरा नाम है कॉम्प्लिमेंटरी मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर । CMOS एक छोटी सी बैटरी ( सेल ) होती है । CMOS बैटरी का काम इनफार्मेशन को हमेशा ओन करके रखना होता है जैसे की समय और तारीख । जब कंप्यूटर या लैपटॉप स्टार्ट होता है तब बायोस चिप में तारीख और समय का डाटा होता है और समय के साथ-साथ तारीख रुके ना यानि की चलता ही रहे इसके लिए CMOS बतेरी बायोस चिप को करंट देती है । जिससे बायोस चिप को लगातार करंट मिलने से समय, तारीख और जरूरी सेटिंग्स सेव रहती है । अगर बैटरी खराब हुई तो समय और तारीख डिवाइस के बंद होने के बाद रुक जाता है क्योंकि बैटरी खराब होती है जिसकी वजह से समय और तारीख उतनी देर तक ही चलता रहेगा है जितनी देर तक बायोस चिप को करंट मिलता रहेगा यानि की कंप्यूटर चलता रहेगा । बैटरी सही होने पर चार्ज होने पर कंप्यूटर चाहे कई दिनों तक बंद रखा जाये तो भी CMOS बैटरी के अंदर करंट काफी होता है जिससे समय और तारीख सेव रहता है ।

 
  • बायोस चिप :
बायोस सिप एक छोटी सी चिप ही या मोबाइल प्रोसेसर की तरफ दिखने वाली चिप होती है । बायोस चिप का काम इनफार्मेशन को स्टोर करके रखना होता है अपने अंदर जैसे की समय, तारीख और ड्राईवर । जब कंप्यूटर या लैपटॉप स्टार्ट होता है तब बायोस चिप अपने अंदर रखे इन्फॉर्मेशन का इस्तेमाल करती है जिससे हमारे कंप्यूटर या लैपटॉप का समय और तारीख सेव रहता है, इसके आलावा माउस और कीबोर्ड जैसे डिवाइस कनेक्ट करने के बाद सीधा ही चल पाए इसके लिए भी बायोस चिप के अंदर रखे हुए ड्राईवर काम में आते हैं  । बायोस चिप में ड्राईवर होने से ही माउस और कीबोर्ड सीधा ही काम करने लग जाते हैं मदरबोर्ड से कनेक्ट करने के बाद । बायोस चिप के अंदर पहले से ही सभी जरूरी इंस्ट्रक्शन जमा करके रखी जाती है ।
 
  • ग्राफ़िक कार्ड स्लॉट्स :

वैसे कुछ मदरबोर्ड में इंटीग्रेटेड ग्राफ़िक कार्ड पहले से दिया जाता है लेकिन अगर आप अलग से डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड लगवाना चाहते हैं तो इसके लिए अलग से मदरबोर्ड में पोर्ट दिया जाता है और पोर्ट के प्रकार भी तीन होते हैं जैसे की PCI पोर्ट, AGP पोर्ट और PCI-एक्सप्रेस पोर्ट । ग्राफ़िक कार्ड मदरबोर्ड में लगाने से पहले यह देखना होता है की मदरबोर्ड में ग्राफ़िक कार्ड लगाने के लिए स्लॉट्स कौन सा दिया गया है उसी के हिसाब से ही ग्राफ़िक कार्ड को मदरबोर्ड के साथ कनेक्ट किया जाता है क्योंकि ग्राफ़िक कार्ड भी अलग-अलग तीन स्लॉट्स फीचर्स के साथ आते हैं । PCI, AGP और PCI एक्सप्रेस पोर्ट्स में से सबसे पुरानी टेक्नोलॉजी वाला पोर्ट PCI पोर्ट और सबसे लेटेस्ट PCI-Express पोर्ट कहलाता है ।

 
  • AGP स्लॉट्स :
AGP स्लॉट्स मदरबोर्ड में दिया गया है अलग से डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड लगाने के लिए । अलग से डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड इसीलिए लगवाना पड़ता है ताकि ग्राफ़िक्स पॉवर को बढ़ाया जा सके । ग्राफ़िक्स पॉवर बढ़ाने की जरूरत तभी पडती है जब विडियो एडिटिंग या गेम्स कंप्यूटर में खेलनी होती है तब अलग से डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड लगाना ही पड़ता है तो इसके लिए अलग से AGP स्लॉट्स दिया जाता है । जबकि इस स्लॉट्स में सिर्फ AGP स्लॉट्स वाले ग्राफ़िक कार्ड ही लगते हैं ।
 
  • PCI स्लॉट्स :
PCI स्लॉट्स एक या दो भी देखने को मिलते हैं । PCI स्लॉट्स में कार्ड को लगाया जाता है जैसे की साउंड कार्ड, डिस्प्ले कार्ड, RAID कार्ड इत्यादि । वसिसे आप इतना भी जन लीजिये की अगर मदरबोर्ड के पीछे की तरफ किसी भी पोर्ट में कोई प्रॉब्लम आ जाती है तब PCI स्लॉट्स में अलग से कार्ड को लगाकर काम को चलाया जा सकता हैं । बारीकी में जानने के लिए हम अलग से आर्टिकल में लिखेंगे इसी टॉपिक के नीचे तरफ दे दिया जायेगा 
 
  • जम्पर पोर्ट :
 जम्पर पोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है सेटिंग्स को चेंज करने के लिए वैसे । जैसे की बायोस चिप में जो भी डाटा होता है उसको डिलीट करना हो या पासवर्ड चेंज करना हो तो उस वक्त जम्पर में तीन पिन होते हैं जिसकी वजह से पिन को आपस में कनेक्ट करके पासवर्ड को डिलीट किया जाता है या सेटिंग्स को डिलीट किया जाता है ।
 
  • फ्रंट पैनल कनेक्टर ( फ्रंट USB और फ्रंट ऑडियो ) :
फ्रंट पैनल कनेक्टर का उपयोग किया जाता है CPU के सबसे आगे की तरफ लगने वाले USB पोर्ट्स और ऑडियो ( हेडफोन, माइक इत्यादि ) पोर्ट्स को जोड़ने के लिए । इसके बाद फ्रंट USB और फ्रंट ऑडियो में लगाये जाते हैं जरूरी पोर्ट्स । वे पोर्ट्स जो CPU ( कैबिनेट ) के सबसे आगे दिए जाते हैं ।
 
  • हीट सिंक ( GPU इसके अंदर होना ) :
हीट सिंक के अंदर GPU लगा होता है यानि की इंटीग्रेटेड GPU । जिसको ठंडा करने के लिए इसी के उपर ही हीट सिंक लगा दिया जाता है । GPU कुछ-कुछ मदरबोर्ड में दिए जाते हैं और कुछ में नहीं । जिस मदरबोर्ड में GPU नहीं दिया गया है या नहीं लगा है तो उस वक्त अलग से डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड या ग्राफ़िक्स पॉवर के साथ आने वाला प्रोसेसर लगवाना पड़ता है क्योंकि GPU कंप्यूटर या लैपटॉप में चाहिए ही होता है ।
 
  • फैन कनेक्टर :
फैन कनेक्टर का इस्तेमाल पंखे ( कूलर ) को कनेक्ट करने के लिए किया जाता है । वही पंखा जो प्रोसेसर की गर्म हवा को को बाहर निकालने में मदद करता है । वैसे आप इतना भी याद रखें की कूलर के नीचे हीट सिंक यानि की पेल्टीयर डायोड लगा होता है जो ठंडा करता है प्रोसेसर को । पेल्टीयर डायोड का नीचे का हिस्सा जो ठंडा होता है उसे प्रोसेसर के साथ लगाते हैं लेकिन पेल्टीयर डायोड के ऊपर का हिसा गर्म होता है जिसकी वजह से पंखा अलग से लगाया जाता है । इस कूलर की तार को सीधा ही तीन पिन वाले फैन कनेक्टर के साथ जोड़ दिया जाता है ।
 
 

Motherboard किसका बना होता है :

मदरबोर्ड कई जरूरी हार्डवेयर पार्ट्स और कई सारे कंपोनेंट्स से मिलकर बना होता है । हार्डवेयर पार्ट्स जैसे की PCB बोर्ड जोकि पतली ही हार्ड प्लास्टिक शीट होती है, स्लॉट्स और पोर्ट्स । इसके आलावा छोटे-छोटे कंपोनेंट्स जैसे की डायोड, रेसिस्टर. ट्रांजिस्टर, इंडक्टर, कैपासिटर इत्यादि । ये जो छोटे-छोटे कंपोनेंट्स होते हैं ये बहुत सारे अधिक मात्रा में मदरबोर्ड के सबसे ऊपर हर जगह पर आसानी से दिखाई देते हैं ।
 
 

Types of Motherboard in hindi | Motherboard के प्रकार :

मदरबोर्ड के प्रकार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं लेकिन उनमें से भी आगे प्रकार और भी आ जाते हैं । मदरबोर्ड के प्रकार इस प्रकार हैं :

  1. इंटीग्रेटेड मदरबोर्ड
  2. नॉन इंटीग्रेटेड मदरबोर्ड

 

Integrated motherboard in hindi | इंटीग्रेटेड मदरबोर्ड क्या है :

जिस मदर-बोर्ड में उपकरणों को जोड़ने के लिए अलग से पोर्ट्स और स्लॉट्स लगाये जाते हैं उसे इंटीग्रेटेड मदर बोर्ड कहते हैं । इसमें हम कुछ उपकरणों को अपग्रेड भी कर सकते हैं जैसे की प्रोसेसर को बदलना, रैम मैमोरी बढ़ाना, हार्ड डिस्क ड्राइव की जगह पर सॉलिड स्टेट ड्राइव या सॉलिड स्टेट ड्राइव की जगह पर हार्ड डिस्क ड्राइव को लगाना इत्यादि । क्योंकि इसमें कई पोर्ट्स दिए जाते हैं ताकि आप अपने हिसाब से कभी भी कुछ भी उपकरण चेंज कर सकते हैं या पॉवर बढ़ा सकते हैं जैसे की रैम की मेमोरी को बढ़ाना और भी बहुत कुछ । इस मदर-बोर्ड का इस्तेमाल लैपटॉप्स और कंप्यूटर में किया जाता है लेकिन स्मार्टफ़ोन जैसे पतले डिवाइस में नहीं ।

 

Types of integrated motherboard in hindi | इंटीग्रेटेड मदरबोर्ड के प्रकार :

इंटीग्रेटेड मदरबोर्ड के प्रकार भी आगे तीन तरह के देखने को मिलते हैं । बारीकी से देखें तो जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती गयी ठीक वैसे ही उसके प्रकार भी बढ़ते गये । इंटीग्रेटेड मदरबोर्ड के प्रकार इस तरह हैं :

  • AT मदरबोर्ड :

AT मदरबोर्ड का पूरा नाम है एडवांस्ड टेक्नोलॉजी मदरबोर्ड और यह 80 के दशक में यह सबसे पोपुलर मदरबोर्ड होता था । इसमें इंस्टालेशन और अपग्रेड करने में मुश्किल आती थी । लेकिन अब इससे और भी बेहतर मदरबोर्ड आ चुके हैं । जिससे इस मदर-बोर्ड का अब इस्तेमाल नहीं किया जाता ।

  • ATX मदरबोर्ड :
ATX मदरबोर्ड जिसे एडवांस्ड टेक्नोलॉजी एक्सटेंडेड मदरबोर्ड कहा जाता है और इस मदरबोर्ड को इस तरह से बनाया गया है की प्रोसेसर स्लॉट को बाकि के सभी स्लॉट्स से दूर रखा जा सके है । जिससे कार्ड लगाने में मुश्किल नहीं आती थी ।
 
  • बेबी ATX मदरबोर्ड :
बेबी ATX मदरबोर्ड का इस्तेमाल बहुत पुराने पेंटियम कंप्यूटर में किया जाता था लेकिन आज के समय में इस प्रकार के मदरबोर्ड बिकने  के लिए देखने को नहीं मिलते हैं । बेबी ATX मदरबोर्ड में प्रॉब्लम एक ही थी की पेरीफेरल कार्ड इंस्टाल करने में लिमिटेशन होती थी ।
 
  • माइक्रो ATX मदरबोर्ड :
माइक्रो ATX मदरबोर्ड का साइज़ काफी छोटा होता था जिसकी वजह से यह मदरबोर्ड बिजली की खपत बाकि मदरबोर्ड की तुलना में कम करता है । माइक्रो ATX मदरबोर्ड की खासियत यह है की डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड लगाने के लिए नये टेक्नोलॉजी वाला AGP पोर्ट भी दिया गया है ।
 
  • LPX और मिनी LPX मदरबोर्ड :

LPX और मिनी LPX मदरबोर्ड का इस्तेमाल सबसे अधिक मात्रा में किया जाता है LPX और मिनी LPX मदरबोर्ड की कीमत काफी कम होती है यही सबसे बड़ा कारण है । परन्तु इस प्रकार के मदरबोर्ड में एक ही काम में आने वाले स्लॉट्स अधिक देखने को नहीं मिलेंगे जैसे की रैम कार्ड लगाने के लिए महंगे मदरबोर्ड में चार स्लॉट दिए जाते हैं लेकिन इस मदरबोर्ड में अधिक से अधिक दो ही स्लॉट दिए गये हैं रैम कार्ड लगाने के लिए ।

  • NLX मदरबोर्ड :

NLX मदरबोर्ड काफी बेस्ट मदरबोर्ड होते हैं क्योंकि ये मदरबोर्ड नये टेक्नोलॉजी वाले प्रोसेसर, पोर्ट्स और स्लॉट्स को सपोर्ट करता और साथ आता है । जैसे की डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड लगाने के लिए NLX मदरबोर्ड में AGP पोर्ट दिया गया है जो की लेटेस्ट पोर्ट है है डेडिकेटेड ग्राफ़िक कार्ड लगाने के लिए लेकिन सबसे लेटेस्ट पोर्ट ग्राफ़िक कार्ड लगाने के लिए तो PCI एक्सप्रेस पोर्ट ही है ।

 

Non integrated Motherboard in hindi | Non integrated मदरबोर्ड क्या है :

जिस मदर-बोर्ड में पोर्ट्स और स्लॉट्स लगाने की बजाय उपकरण को सीधे ही सोल्जर किया जाता है उसे नॉन इंटीग्रेटेड मदर-बोर्ड कहा जाता है । जैसे की रैम, प्रोसेसर और ROM ( इंटरनल मैमोरी ) को सीधा ही मदर-बोर्ड से सोल्जर कर दिया जाता है जिससे मदरबोर्ड के ऊपर सीधा ही हार्डवेयर पार्ट जोड़ देने से मदरबोर्ड का आकार अधिक मोटा नहीं होता है क्योंकि इसमें अलग-अलग पोर्ट्स और स्लॉट्स और केबल की जरूरत नहीं पडती है । नॉन इंटीग्रेटेड मदर-बोर्ड का इस्तेमाल किया जाता है स्मार्टफोन्स और टेबलेट्स में । लेकिन सिर्फ पतले डिवाइस में ही क्योंकि हार्डवेयर पार्ट को सीधा ही मदरबोर्ड के साथ कनेक्ट करने से आकार पतला ही रहता है जिससे स्मार्टफ़ोन, टेबलेट और लैपटॉप पतले से पतला बनाने में आसानी होती है । परन्तु लैपटॉप में लगे मदरबोर्ड में कुछ पोर्ट देखने को मिलते हैं जैसे की इंटरनल मैमोरी और रैम मैमोरी बढ़ाने के लिए । नॉन इंटीग्रेटेड मदरबोर्ड में कुछ भी उपकरण अपग्रेड नहीं कर सकते हैं लेकिन लैपटॉप के लिए बनाये गये मदरबोर्ड में सिर्फ मैमोरी को ही अपग्रेड किया जा सकता है जबकि बाकि के हार्डवेयर पार्ट को सीधा ही सोल्जर कर दिया जाता है ।

 

Motherboard बनाने वाली कंपनियां :

मदरबोर्ड कई कंपनियां बनाती हैं जिसकी कीमत भी अलग-अलग और फीचर्स तकरीबन मिलते जुलते ही देखने को मिलते हैं बजट में या फिर स्पेशल मदरबोर्ड खरीदने से पहले आप यह सभी कंपनियां की तरफ से बनाये गये मदरबोर्ड के फीचर्स और कीमत में जान लें ताकि आपको सही कीमत में अच्छा सा मदरबोर्ड मिल सके । जितनी भी कंपनियां मदरबोर्ड बनाने का काम करती हैं उसकी लिस्ट इस प्रकार है :

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