Types of relay in hindi | रिले के प्रकार

रिले केे प्रकार बहुत होते हैं और उन सभी रिले का काम दूसरे रिले से थोड़ा सा अलग होता है । रिले ज्यादातर बड़े उपकरणों में उपयोग किया जाता है जहां काम ऑटोमैटिक करवाना होता है और सर्किट को प्रोटेक्शन देने होता है । तो चलिए जानते हैं कि रिले कितने प्रकार के होते हैं

Relay types in hindi | रिले के प्रकार :

वैसे तो रिले के प्रकार बहुतमात्रा में हैं इसमें से सभी रिले के बारे में बताना मुश्किल है क्योंकि इससे आर्टिकल काफी लंबा हो जाएगा । लेकिन फिर भी मैं आपको कुछ जरूरी रिले के बारे में बता दूंगा जो कि सर्किटों में साधारण और अधिक इस्तेमाल किये जाते हैं ।

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Types of relay in hindi
  • Electromagnetic attraction type relays
  • Magnetic latching relay
  • Induction relay
  • Direction relay
  • Time relay
  • Distance relay
  • Differential relay
  • Thermal relay
  • Rectifier relay
  • PMMC relay
  • Gas actuated relay
  • Numerical and microprocessor based relay
  • Reed switch relay
  • Static relay
  • Solid state relay
  • Frequency monitoring relay
  • Motor load monitoring relay
  • Insulation monitoring relay
  • Liquid monitoring relay
  • Hybrid relay
  • General purpose relay
  • Coaxial relay
  • Contactor relay
  • Force guided contacts relay
  • Latching relay
  • Machine tool relay
  • Mercury relay
  • Mercury wetted relay
  • Multi voltage relay
  • Overload protection relay
  • Polarized relay
  • Safety relay
  • Time delay relay
  • Vacuum relay
  • Buchholz relay
रिले मुख्य दो प्रकार के होते हैं जो कि दो प्रकार से काम करते हैं उसमें से एक नाम है latching रिलेऔर दूसरा है नॉन latching रिले

Latching relay क्या है :

लैचिंग रिले वह रिले होते हैं जिसको अगर हम विधुत देकर एक्टिवेट करते हैं तो उसके बाद रिले जिस पोजीशन पर चला जाता है उसके बाद रिले को अगर डीएक्टिवेट यानी कि विधुत ना दिया जाए तो भी उसकी पोजीशन चेंज नहीं होती यानी कि उसकी पोजीशन वहीं पर रुक जाती है जहाँ से उसे विधुत देकर एक्टिवेट किया था । विधुत ना देने के बाद भी उसकी पोजीशन वापिस उसी जगज पर नहीं आती ।

Non latching रिले क्या है :

नॉन लैचिंग रिले वह रिले होते हैं जिसको विधुत देने और ना देने से उसकी पोजीशन चेंज होती रहती है । पोजीशन कैसे चैंज होती है इसके लिए आप हमारा दूसरा आर्टिकल भी पड़ सकते हैं जैसे कि रिले क्या है और यह कैसे काम करता है ।

Reed relay क्या है :

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Reed relay kya hai

इस रिड रिलेजो जिसे कांच और मेटल से बनाया जाता है । इसमें कांच दायीं और बायीं दोनों तरफ रॉड लगाई जाती है जो कि दोनों रॉड एक दूसरे से अलग है यानी कि जुड़ी हुई नहीं है । इस कांच में खाली जगह होती है जिसमें गैस भरी जाती है यही गैस और रॉड मुख्य काम करती है । इसके बाद इस कांच के ऊपर ताम्बे की तार लपेटी जाती है जिसे वाइंडिंग कहा जाता है ।

Reed relay कैसे काम करता है :

इसमें बैटरी की एक तार को बल्ब के साथ और दूसरी तार को रिले की रॉड के साथ जोड़ा है । दूसरी तरफ भी बल्ब की बची दूसरी तार को हमने रिले की दूसरी रॉड के साथ जोड़ा है जैसा कि आप चित्र में देख सकते हैं । बैटरी को बल्ब के साथ और रिले के साथ जोड़ने के बाद भी रिले बल्ब को जगने नहीं दे रहा है क्योंकि रिले की दोनों रॉड एक दूसरे से कनेक्ट नहीं है ।
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Reed relay working diagram in hindi
जब तक रॉड एक दूसरे से नहीं जुड़ेगी तब तक बैटरी का विधुत बल्ब में नहीं जाएगा । इसके लिए हमें रिले को एक्टिवेट करना होगा ताकि दोनों रॉड आपस मे जुड़ सके और पॉवर सप्लाई चालू हो सके । इसके लिए हमें रिले के ऊपर लगी वाइंडिंग में से विधुत धारा प्रवाहित करनी होगी । जिससे विधुत धारा प्रवाहित करने से अन्दर पड़ी गैस से दोनों रॉड एक दूसरी की तरफ आकर्षित होकर जुड़ जाते हैं और बैटरी में से विधुत बल्ब में जाने लगता है जिससे बल्ब जगने शुरू हो जाता है यानी कि पॉवर सप्लाई चालू हो जाती है ।
 

Electromagnetic attraction type relays क्या है :

इस प्रकार का रिले जो कि dc और ac दोनों प्रकार के विधुत धारा पर चलता है । इसके भी कई प्रकार हैं जिसको हम आपको एक साथ समझा देंगे बस उसमें डिज़ाइन और काम करने के ढंग का अंतर होता है । उसी के हिसाब से लगाया जाता है । इसमें आर्मेचर जो कि मेटल का बना होता है जिसके ऊपर ताम्बे की तार की वाइंडिंग की जाती है और इसके साथ अलग-अलग दिशा के हिसाब से अब को अलग-अलग ट्रिप दिए गए हैं जो कि अलग-अलग दिशा में घूम कर काम करता है । आपको अच्छी तरह से तभी समझ आएगा जब आप आगे वाला टॉपिक पड़ेंगे ।

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Electromagnetic attraction type relays कैसे काम करता है :

इसमें जब विधुत धारा प्रवाहित की जाती है तब वाइंडिंग में से मैग्नेटिक फील्ड उतपन्न होने लगता है जिससे वह चुम्बक बन जाता है । चुम्बक बन जाने के बाद यह ट्रिप जो कि मेटल की पत्ती को अपनी तरफ खींचता है । जब विधुत धारा प्रवाहित करना बन्द कर देंगे तब वाइंडिंग में मैग्नेटिक फील्ड बनना बन्द हो जाएगा जिससे ट्रिप को वह छोड़ देगा । ज्यादातर इसका इस्तेमाल सर्किट को अधिक वोल्टेज से बचाने के लिए होता है जिससे यह एक्टिवेट होकर विधुत धारा को रोक देता है । इसको हम किसी और काम में ले सकते हैं या इससे कोई उपकरण तैयार भी कर सकते हैं ।
 

Magnetic latching relay क्या है :

जैसे हमने आपको ऊपर लैचिंग रिले के बारे में बताया था यह रिले भी उसी तरह काम करता है । इस रिले में परमानेंट चुम्बक और coil का उपयोग किया जाता है टर्मिनल को दूसरे टर्मिनल से जोड़ने के लिए । इस रिले की खास बात यह है कि जब इसे विधुत धारा प्रवाहित करते हैं तब यह जिस पोजीशन पर चला जाता है उसके बाद उसकी पोजीशन चेंज नहीं होती जब हम विधुत धारा का प्रवाहित करने बन्द कर देते हैं तो । जबकि कुछ रिले ऐसे होते हैं कि उसकी पोजीशन विधुत के देने और ना देने से चेंज होती रहती है ।
 

Buchholz relay क्या है :

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Buchholz relay working diagram in hindi

इस रिले का उपयोग प्रोटेक्शन करने के लिए बड़े ट्रांसफार्मर में किया जाता है । जिससे जब ट्रांसफार्मर में कोई प्रॉब्लम आती है तो उससे गैस इस रिले के अंदर जाने से इसके पॉर्ट मूव होते हैं जिससे हमें पता चल जाता है कि ट्रांसफार्मर में क्या खराबी है । यानी कि कुल मिलाकर ट्रांसफार्मर में प्रॉब्लम को पकड़ने और प्रोटेक्शन करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है ।

 

Thermal relay क्या है :

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Thermal relay kya hai

इस रिले का उपयोग भी अधिकतर किया जाता है । यह रिले तापमान के हिसाब से काम करता है यह तार के अंदर के तापमान को मापता है जिससे अगर विधुत अधिक आने से तार गर्म हो रही है तो यह विधुत को बायपास करता है यानी कि ब्लॉक कर देता है । इसमें बटन लगे होते हैं जिसकी मदद से हम इसमें तापमान को सेट कर सकते हैं ।

 

Induction relay क्या है :

इस रिले का उपयोग विधुत धारा को बायपास करने के लिए यानी कि ब्लॉक करने के लिए किया जाता है । जब किसी सर्किट में विधुत अधिक मात्रा में आ जाता है तब यह काम करने लगता है ।

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इसमें मैग्नेटिक डिस्क और पोल और वाइंडिंग का उपयोग किया जाता है जिससे जब यह काम करता है तब वाइंडिंग की मदद से डिस्क घूमने से इसके ऊपर का पोल भी साथ मे घूम कर दूसरे पत्ती से जुड़ जाता है जिससे विधुत धारा ब्लॉक हो जाता है । यह रिले तभी काम करता है जब विधुत अधिक मात्रा में आ जाता है तभी यह विधुत को रोकता है ।

 

Polarized relay क्या है :

इस रिले में भी परमानेंट चुम्बक, वाइंडिंग और मेटल का उपयोग किया जाता है ।

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इसके अलावा इसमें पोल लगा होता है जो मूव होता है विधुत धारा के प्रवाहित करने से । एक बार जिस पोजीशन पर चला जाता है यह वहीं पर रुक जाता है दूसरी पोजीशन लर भेजने के लिए इसे फिर से विधुत प्रवाहित करना होता है । इसीलिए इसे पोलरिजेड रिले कहा गया है यानी कि घूमने वाले पोल ।

 

Solid state relay क्या है :

सॉलिड स्टेट रिले फिक्स्ड टाइप का रिले होता है और इसमें कोई भी मूवेबल पार्ट नहीं होता है । अपने ऊपर जितने भी प्रकार के रिले देखे हैं उसमें मूवेबल पार्ट जैसे कि पोल का घूमना इत्यादि । यह रिले कई प्रकार के आते हैं लेकिन फिर भी इसके कुछ रिले जो जरूरी हैं उसके बारे में हम आपको बता देता हैं जिसका नाम है फ़ोटो ट्रांजिस्टर रिले और इसोलेटिंग ट्रांसफॉर्मर रिले ।

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Photo transistor रिले क्या है :

इस रिले में पॉवर सप्लाई को चालू करने के लिए या बन्द करने के लिए विधुत की बजाय रोशनी का प्रयोग किया जाता है । जब इस फोटो ट्रांजिस्टर में रोशनी गिरती है तो यह पॉवर सप्लाई यानी कि विधुत धारा को गुज़रने देता है जब रोशनी गिरना बंद हो जाता है तो विधुत ब्लॉक कर देता है । फ़ोटो ट्रांजिस्टर और इसोलेटिंग ट्रांसफॉर्मर दोनों का चित्र आप नीचे देख सकते हैं ।
 

Isolating ट्रांसफार्मर रिले क्या है :

इसोलेटिंग ट्रांसफॉर्मर रिले में ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है । इसमें पहले विधुत कन्वर्ट होता है dc ( डायरेक्ट करंट ) से ac (अल्टरनेटिव करंट ) में फिर कन्वर्ट किया जाता है फिर उसके बाद पॉवर सप्लाई को ट्रिगर करके trac के जरिये उसे कंट्रोल किया जाता है ।

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